पिताजी के विभिन्न शहरों में तैनाती के कारण मुझे उत्तर भारत के बहुत सारे जगहों को देखने और जानने का मौका मिला लेकिन मेरी देश के प्रति जानकारी केवल उन जगहों की जानकारियों तक ही सीमित थी | बाकी भारत के बारे में जो मालूमात थी उन्हें मैंने विभिन्न किताबों के माध्यम से ही जाना था | इतिहास भी उतना ही पढ़ा जितना स्कूल में पढ़ाया गया | मेरे किसी जन्म दिवस पर किसी ने मुझे जवाहरलाल नेहरु की लिखी किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया दे दी थी जिससे मुझे इतिहास को कुछ अलग तरीके से समझने का अवसर मिला | लेकिन लिखे हुए को समझने में और अनुभव के आधार पर किसी बात को समझने में बड़ा फर्क होता है | भारत को जानने का पहला अनुभव मुझे अपने मद्रास प्रवास के दौरान हुआ | रेलवे स्टेशन से बाहर निकलते ही मुझे एक क्षण के लिए महसूस हुआ कि मैं एक अलग देश में आ गया |अलग सी भाषा और सामाजिक परिवेश ने मुझे चौका दिया | मैं तो भारत को केवल अपने नजरिए से जानता था | मुझे मालूम था कि भारत में बहुत सारी भाषाएं बोली जाती हैं लेकिन संस्कृति की भिन्नता ने मुझे एकदम से चौंका दिया था |
मेरे मद्रास प्रवास के दौरान मेरी मुलाकात देश के बड़े दिग्गजों और ज्ञानियों से हुई और मैंने उनसे बहुत लाभ अर्जित किया | बहुत से ऐसे ज्ञानी मित्र मिले जिनकी संगत ने मेरी भाषा ,मेरे ज्ञान को और सुसंस्कृत किया | उन्हीं दिनों मैं इंटरनेशनल थियोसॉफिकल सोसायटी का सदस्य बन गया था और उस समय की अध्यक्ष राधा बर्नियर को सुनने जाया करता था जिससे मुझे दार्शनिकता का ज्ञान हुआ | बाद में किसी ने मुझे रामकृष्ण मठ का रास्ता दिखा दिया और यहीं से मुझे विवेकानंद की पुस्तकों को पढ़ने और भारतीय दर्शन को समझने का अवसर प्राप्त हुआ | मद्रास में पहुंचने के बाद मुझे पहली बार यह भी ज्ञान हुआ कि मैं एक आर्यन हूं और दक्षिण में रहने वाले सभी लोग द्रविड़ है | यह मेरे लिए एक अभूतपूर्व जानकारी थी और इसके पश्चात ही मुझे समझ में आया कि तमिलनाडु की प्रमुख पार्टियों के नाम के आगे द्रविड़ शब्द जैसे द्रविड़ मुनेत्र कड़गम क्यों लगा हुआ है | दक्षिण के तो भगवान भी मेरे लिए नए थे | वह उत्तर भारत के भगवानों की तरह ना दिखते थे ना उनके सरीखे नाम थे | तब मुझे भारत की विशाल विरासत और अभूतपूर्व विभिन्नता का ज्ञान हुआ |साथ में ये कि विभिन्न धर्मो के पश्चात भी हमारी सामाजिक संरचना प्रांतों और भाषाओं के आधार पर विविधताओं से भरी हुई है |
उन दिनों तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम जी रामचंद्रन थे |उनके बारे में कहा जाता है कि वे रहने वाले श्रीलंका के थे किंतु भारत में आकर बस गए थे और उन्होंने फिल्मों में अपना बहुत बड़ा स्थान बनाया | बाद में राजनीति में सम्मिलित हो तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बन गए |उनके प्रति लोगों का आदर अभूतपूर्व था और मैंने ऐसा कभी उत्तर भारत में नहीं देखा | एमजीआर की मृत्यु के बाद उनकी उत्तराधिकारी जयललिता तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी और उनके बारे में तो सभी जानते हैं| जयललिता को भी राजनीति में वही स्थान प्राप्त था जो एमजीआर को था | मैंने उनके जन्मदिवस में लोगों को उनके घर जमीन पर सड़कों पर लोट के जाते हुए देखा है | दक्षिण मैं उनके और एमजीआर मंदिरों बने हुए हैं | दक्षिण भारत उत्तर भारत से एकदम एकदम भिन्न है | वहां के लोग ना केवल अपनी संस्कृति के प्रति बहुत ही सजग और स्वभाव से बहुत सरल होते हैं | उत्तर भारतीय लोगों की तरह वे दिखावे पर ज्यादा विश्वास ना करते ,पढ़ने लिखने वाले वैज्ञानिक विचार के होते हैं | मद्रास की लोकल ट्रेनों में मैंने लोगों को खड़े-खड़े झूलते हुए पुस्तकें पढ़ते हुए कई स्टेशनों को पार करते हुए देखा है | शायद इसीलिए भारत के बड़े वैज्ञानिकों में आपको ज्यादातर दक्षिण भारतीय ज्यादा मिलेंगे |
भारत में एक और जगह है जिसकी सांस्कृतिक विरासत और बौद्धिक क्षमता पूरे विश्व में परिलक्षित होती है और वह स्थान है बंगाल | बंगाल की संस्कृति अभूतपूर्व और कोलकाता में रहने वाले अधिकांश भद्रजन बहुत ही बुद्धिजीवी हैं |आप उनसे किसी भी विषय पर बात कर सकते हैं और भी बहुत सरल होते हैं उनके अंदर भी दिखावा तनिक सा नहीं होता | बंगाल के लोग बहुत कलात्मक होते हैं उनकी कलात्मकता का नमूना उनकी लिपि में ही मिल जाता है | बंगाली लिपि बहुत ही खूबसूरत और और वाणी बहुत ही मधुर होती है | इसीलिए बंगाल में भारत के सबसे ज्यादा बड़े कलाकार ,साहित्यकार , शिक्षाविद एवं दार्शनिक पैदा हुए हैं |
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